बिल गेट्स ने कभी कहा था कि अगर तुम पैदा ग़रीब हुए हो तो इसमें तुम्हारी ग़लती नहीं है लेकिन अगर तुम मरोगे ग़रीब तो इसके ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम ही होगे। कुछ लोगों की ज़िंदगी निकल जाती है पैसा कमाने की कोशिश करने में और हाथ कुछ नहीं आता वहीं कुछ लोग पैदा ही अमीर होते हैं।
कुछ लोग पैदा ग़रीब होते हैं पर अपनी मेहनत और लगन से वे पूरा एक एम्पायर खड़ा कर देते हैं। पर यह सब करने में बहुत टाइम लगता है। पर क्या अपने कभी सुना है कि किसी बच्चे में बिज़नेस को असमान की बुलंदियों पर पहुंचा दिया हो। जी नहीं हम मज़ाक़ नहीं कर रहे हैं हम जिस बच्चे की बात कर रहे हैं उसने सिर्फ़ 13 साल की उम्र में ही व्यापार की दुनिया में कदम रख दिया था और 15 साल की उम्र तक अपने बिज़नेस को शिखर पर पहुंचा दिया था।
सफलता का कोई निश्चित समय नहीं होता यदि आप ठान लें और मेहनत के साथ उस कार्य में जुट जायें तो सफलता ज़रूर मिलती है। 13 साल के तिलक मेहता ने इस बात को साबित कर दिया है। जब लोग स्कूल, खेल-कूद और मनोरंजन में व्यस्त रहते हैं, तिलक ने उसी उम्र में 100 करोड़ रुपये के टर्न ओवर वाली कंपनी की स्थापना कर ली। उन्होंने अपनी शिक्षा के साथ-साथ व्यापार में भी कदम रखा और केवल दो साल में एक सफल व्यापारी बन गए। इतनी छोटी सी उम्र में तिलक ने 200 से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान किया है।
कौन हैं तिलक मेहता?
13 साल की आयु में तिलक मेहता ने पेपर-एन-पार्सल नामक स्टार्टअप कंपनी की स्थापना की थी। 2006 में गुजरात में पैदा हुए थे तिलक मेहता। उनके पिता का नाम विशाल मेहता है और वे एक लॉजिस्टिक कंपनी में काम करते हैं। तिलक की मां काजल मेहता एक हाउस वाइफ हैं। तिलक मेहता की एक बहन भी है।
13 साल की आयु में ही एक घटना ने तिलक को बिजनेस का आइडिया दे दिया था। उनके पिता के थकान से संबंधित अनुभव से उन्हें उनके व्यापार का आईडिया मिला था। ऑफिस से लौटने के बाद जब कभी भी वह अपने पिता से बाजार से स्टेशनरी का सामान लाने क लिए कहते तो उन्हें बहुत बुरा लगता था। पिता की थकान को देखकर कई बार तो वे बोल भी नहीं पाते थे कि उन्हें स्कूल के लिए स्टेशनरी चाहिए।
तिलक मेहता को कैसे आया आईडिया?
एक बार तिलक अपने चाचा के घर छुट्टियों पर गए, लौटते समय वह अपनी परीक्षा की किताब भूल गये। किताब को पाने के लिए उन्हें महंगा कुरियर चार्ज चुकाना पड़ा, लेकिन डिलीवरी देर से होने के कारण उन्हें विचार करने का मौका मिला। इस घटना ने उन्हें अपनी कंपनी के लिए आइडिया दिलाया।
तिलक ने इस आइडिया को अपने पिता के साथ साझा किया और एक कोरियर सर्विस की योजना तैयार की। उनके पिता ने उन्हें शुरुआती फंड प्रदान किए और उनकी मदद से उन्होंने बिजनेस शुरू किया। एक बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख, ने उनके बिज़नेस में निवेश भी किया और उनके पार्टनर बन गये। उन्होंने Paper N Parcels नामक कंपनी बनाई और साथ ही घनश्याम पारेख को सीईओ बनाया।
कैसे बनाया बिज़नेस तिलक मेहता ने?
तिलक ने मुंबई के डिब्बावालों की सहायता से डिलीवरी शुरू करी। उनकी कंपनी पहले बुटीक और स्टेशनरी की दुकानों से छोटे ऑर्डर लेकर डिलीवरी करती थी। उन्होंने कम खर्च में मुंबई लोकल से सामान पहुंचाने का सिस्टम बनाया। उन्होंने छोटे लोकल शॉप्स, डिब्बावालों और कुरियर एजेंट्स के साथ मिलकर एक नेटवर्क तैयार किया। उनकी कंपनी आज 200 से ज्यादा लोगों को रोजगार प्रदान करती है और उनकी कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ रुपये से अधिक है।
तिलक ने लक्ष्य रखा है कि वे इसे जल्द से जल्द 200 करोड़ के पार पहुंचाएंगे। उन्हें इंडिया मैरीटाइम अवार्ड्स में 2018 में युवा व्यवसायी का सम्मान भी मिला है जिससे उनकी प्रतिष्ठा बढ़ी। उनकी कंपनी लोगों के घर तक सामान पहुंचाने की सेवा प्रदान करती है और इसके लिए मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग होता है। उनके साथ 200 कर्मचारी और 300 से अधिक डिब्बावाले काम करते हैं, जिनकी मदद से कंपनी प्रतिदिन 1200 से अधिक पार्सल डिलीवर करती है। पार्सल को पहुंचाने के लिए चार्ज 40 से 180 रुपए तक होता है।
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