आज डॉलर (Dollar Rate Today) के मुकाबले रुपया मजबूती के साथ खुला है। डॉलर (Dollar Rate Today) के मुकाबले रुपया 81.93 रुपये के स्तर पर खुला जिसमें 7 पैसे की मजबूती थी।
बुधवार को डॉलर (Dollar Rate Today) के मुकाबले रुपया 82.00 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था जिसमें 13 पैसे की कमजोरी देखी गई थी। डॉलर (Dollar Rate Today) में व्यापार को समझदारी से करना बहुत महत्वपूर्ण है नहीं तो निवेश पर असर पड़ सकता है।
पिछले 5 दिनों का डॉलर (Dollar Rate Today) डेटा
- बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 82.00 रुपये के स्तर पर 13 पैसे की कमजोरी के साथ बंद हुआ।
- मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 81.87 रुपये के स्तर पर 6 पैसे की कमजोरी के साथ बंद हुआ।
- सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 81.82 रुपये के स्तर पर 13 पैसे की मजबूती के साथ बंद हुआ।
- शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 81.94 रुपये के स्तर पर 4 पैसे की मजबूती के साथ बंद हुआ।
- गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 81.98 रुपये के स्तर पर 11 पैसे की मजबूती के साथ बंद हुआ।
रुपया क्यों होता है कमज़ोर या मज़बूत कारण जानें
रुपये की कीमत इसकी डॉलर (Dollar Rate Today) के साथ मांग और आपूर्ति से निर्धारित होती है। इसमें देश के आयात और निर्यात का भी प्रभाव होता है। हर देश अपनी विदेशी मुद्रा का भंडार रखता है, जिससे वह आयात होने वाले सामानों का भुगतान करता है। रिजर्व बैंक हर हफ्ते इससे संबंधित आंकड़े प्रकाशित करता है। विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति और इस दौरान देश में डॉलर (Dollar Rate Today) की मांग, इन सभी तत्वों से रुपये की मजबूती या कमजोरी निर्धारित होती है।
अगर डॉलर महँगा होता है तो क्या असर होता है
देश में करीब 80 फीसदी क्रूड ऑयल का आयात करना पड़ता है। इससे भारत को अधिक डॉलर (Dollar Rate Today) खर्च करना पड़ता है। यह देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव डालता है, जिससे रुपये की कीमत पर प्रभाव पड़ता है। अगर डॉलर महंगा होता है, तो हमें अधिक कीमत चुकानी पड़ती है, और अगर डॉलर सस्ता होता है तो हमें थोड़ी राहत मिलती है। रोज यह उठापटक डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति को बदलता रहता है।
आज़ादी के समय क्या था रुपए का स्तर
पहले एक जमाना था जब रुपया और डॉलर की मुद्रा एक-दूसरे के साथ बराबर थी। भारत के आजाद होने के समय, यानी 1947 में, रुपया और डॉलर का दाम समान था। एक डॉलर एक रुपया के बराबर था। उस समय देश में कोई कर्ज नहीं था।
लेकिन 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना के लागू होने के बाद सरकार ने विदेशों से कर्ज लेना शुरू किया और रुपये की कीमत भी धीरे-धीरे कम होने लगी। 1975 तक एक डॉलर की कीमत 8 रुपये हो गई और 1985 में यह 12 रुपये हो गई। 1991 में नरसिम्हा राव के शासनकाल में भारत ने उदारीकरण की राह पकड़ी और रुपये की कीमत और भी धड़ाम से गिरने लगी।
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