क्या आप जानते हैं कि गब्बर सिंह की दमदार भूमिका के लिए पहली चॉइस Amjad Khan नहीं थे? Amjad Khan जिन्होंने गब्बर की भूमिका को अद्भुत बना दिया था उनसे पहले किसी और एक्टर को किया गया था एप्रोच गब्बर सिंह के रोल के लिए।
गब्बर सिंह के नाम से जाने जाते हैं Amjad Khan
शोले के गब्बर सिंह के किरदार ने Amjad Khan को भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक कभी ना भूलने वाला किरदार बना दिया और आज भी लोग उन्हें गब्बर सिंह के नाम से ही याद करते हैं।
आज भी लोगों के दिलों में ज़िंदा है शोले
शोले के रिलीज के लगभग 45 साल बाद भी, रमेश सिप्पी की शोले लोगों के दिलों में आज भी बसी हुई है। लेकिन शोले एक प्रसिद्ध कल्ट क्लासिक फ़िल्म नहीं बन सकती थी अगर उसमें हर एक किरदार जैसा दिखाया है वैसा नहीं होता तो। जय-वीरू के याराना से लेकर बसंती-धन्नो के प्रेम संबंध तक फिल्म अपने विचित्र और भावुक लेखन और मशहूर अभिनेताओं के लिए याद की जाती है।
फिल्म के लेखक जावेद अख़्तर और सलीम ख़ान ने फिल्म को लिखने के साथ साथ निर्देशक को फ़िल्म के कैरेक्टर्स के हिसाब से ऐक्टर्स ढूंढने में सहायता भी की थी। जावेद अख़्तर ने गब्बर सिंह के लिए बोला था कि “गब्बर सिंह उन कुछ किरदारों में से एक थे जिन्हें मैं लिखने में आनंद लेता था। मैं याद करता हूँ कि शोले को लिखते समय मुझे बहुत उत्साह होता था और मैं आनंद लेता था कि जब मैं दो सीन लिख लेता था तो अगला सीन गब्बर के लिए होता था।”
Amjad Khan नहीं डैनी डेंजोंगप्पा थे पहली पसंद
गब्बर के रोल को लिखना एक मजेदार काम था, लेकिन एक ऐसे अभिनेता को ढूंढना जो इस किरदार को न्याय से निभा सके वह इतना आसान नहीं था। डैनी डेंजोंगप्पा को मूल रूप से गब्बर का किरदार निभाने के लिए साइन किया गया था न की Amjad Khan को लेकिन फ़िरोज़ खान की धर्मात्मा में बिजी होने के कारण उन्हें इस फ़िल्म को मना करना पड़ा था।
अब गब्बर के लिए एक अभिनेता ढूंढने की जिम्मेदारी लेखकों पर थी। इत्तेफाक से जावेद अख़्तर को 1963 में दिल्ली में एक नाटक “ऐ मेरे वतन के लोगों” में Amjad Khan की अदाकारी देखने का मौका मिला था।
लेखक इतने प्रभावित हुए थे कि अपने साथी सलीम खान के साथ कई बार उन्होंने इसका जिक्र किया। सलीम खान Amjad Khan के पिता, जयंत को जानते थे और एक दिन मुंबई के बांद्रा बैंडस्टैंड पर उन्हें युवा अभिनेता से मिलने का मौका मिला। उन्होंने तुरंत Amjad Khan को रमेश सिप्पी के पास ले जाने का प्रस्ताव रक्खा, कहते हुए कि हाल ही में आने वाली फिल्म में सबसे शानदार किरदार उनका हो सकता है।
रमेश सिप्पी को पहली मुलाकात में ही अमजद पसंद आ गए थे और कई साल बाद उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था “दोनों लेखक उन्हें लाए और जैसे ही उन्होंने कमरे में प्रवेश किया मुझे पता चल गया कि हमारे पास हमारा आदमी है।”
लेकिन यह सब यहीं नहीं रुका। Amjad Khan की आवाज़ को कई लोगों ने मुख्य बाधा के रूप में देखा। क्योंकि गब्बर फिल्म के सबसे इम्पोर्टेंट कैरेक्टर्स में से एक थे इसलिए इस बात को लेकर चर्चा होने लगी थी।
सलीम-जावेद नहीं चाहते थे कि उनकी सिफारिश के कारण फिल्म खराब हो जाए, इसलिए उन्होंने रमेश सिप्पी को Amjad Khan को बदल देने की सलाह दी। जब अमजद को इस बारे में पता चला तो उन्हें बहुत दुख हुआ। उन्होंने लेखकों को इस रवैये को अपने शुरुआती करियर के लिए एक बड़ा झटका माना और कभी भी उन्हें माफ नहीं किया।
हालांकि निर्देशक रमेश सिप्पी ने अपने निर्णय पर क़ायम रहने का फ़ैसला किया और Amjad Khan को ही गब्बर सिंह के रोल के लिए रखा। यह फैसला सफल साबित हुआ और आज लोग अमजद खान के अलावा गब्बर की भूमिका में किसी और को सोचने की कल्पना भी नहीं कर सकते।
इस बड़ी गलतफहमी के कारण Amjad Khan ने किसी भी फिल्म में सलीम-जावेद के साथ फिर से काम नहीं किया।
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