इंसान सिर्फ दूसरे इंसान को ही देख कर प्रेरित हो सकता है, इसलिए हम सफल लोगों के संघर्षपूर्ण जीवन के बारे में जानने में रुचि दिखाते हैं। ऐसी Success Story हमें हर मुश्किल समय में भी हार न मानने और निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
ऐसी Success Story से हमें सीख मिलती है कि सफलता का मार्ग सभी के लिए आसान नहीं होता है। जीवन में मुश्किल समय आने पर हार न मानकर सामना करना हमारे अंदर की शक्ति को प्रकट करता है और हमें आगे बढ़ने का साहस देता है। इसलिए, हमें निरंतर अपने लक्ष्य की ओर प्रगति करते रहना चाहिए, चाहे कितनी भी मुश्किल आएं।
जयराम बनान की कहानी भी उसी तरह की है, जिन्होंने अपने जीवन में बुरे समय का सामना किया, परन्तु हार नहीं मानी। और उन्हें इसका फल मिला कि आज वे देश के सफल बिजनेसमैनों में से एक माने जाते हैं।
जयराम बनान जैसे उदाहरण हमें यह सिखाते हैं कि समृद्धि का मार्ग तकलीफों से भरा हो सकता है, परन्तु पॉजिटिव थिंकिंग, साहस और अधिकार्य के साथ समझदारी से काम करने से असंभव को भी संभव बना सकते हैं। इसलिए, हमें अपने सपनों के पीछे लगने वाले संघर्षों को अपना तौर तरीका बनाना चाहिए, ताकि हम भी एक दिन अपनी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकें और सबको अपनी Success Story से प्रेरित कर सकें।
जयराम बनान की Success Story
मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, जयराम बनान ने अपने जीवन के संघर्षों का सामना करते हुए अपने प्रयासों से सागर रत्ना रेस्टोरेंट जैसा प्रसिद्ध फूड आउटलेट स्थापित किया है। पहले वे कुछ रुपयों के लिए मजदूरी करते थे और बर्तन साफ करते थे, लेकिन आज उनका बिजनेस 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का है। जयराम बनान की बिज़नेस स्ट्रेटेजी के चलते देश भर में 60 से अधिक आउटलेट चल रहे हैं और उनकी Success Story चीख़ चीख़ कर बयान कर रहे हैं।
सागर रत्ना रेस्टोरेंट दक्षिण भारतीय व्यंजनों के लिए खास रूप से प्रसिद्ध है। यह लोगों के पसंदीदा खाने के स्थानों में से एक है। हालांकि, जयराम के लिए यहां पहुंचना आसान नहीं था। कहते हैं कि कर्नाटक के उड्डपी में जन्मे जयराम बनान अपने पिता से बहुत डरते थे और इसी डर ने उन्हें घर छोड़ने को मजबूर कर दिया।
मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार जब जयराम 13 साल के थे तब उन्हें अपनी कक्षा में फेल हो जाने का सामना करना पड़ा। इसके बाद उन्हें डर सताने लगा कि उनके पिताजी उनकी बहुत पिटाई करेंगे। इस डर से उन्होंने घर छोड़ दिया और छोटी सी उम्र में साल 1967 में मुंबई पहुंच गए। मुंबई पहुंचने के बाद जयराम ने एक जानपहचान वाले के रेस्टोरेंट में काम शुरू किया। वहां उन्हें 18 रुपये मासिक वेतन पर बर्तन धोने का काम करना पड़ता था।
छह साल की मेहनत और समर्पण के बाद, जयराम को पहले वेटर और फिर रेस्टोरेंट के मैनेजर का पद दिया गया। उस समय, उनकी कमाई महीने में 200 रुपये थी। वर्षों तक नौकरी करने के बाद, जयराम बनान अब अपना खुद का व्यापार करने का सपना देख रहे थे और इसके लिए उन्होंने मुंबई छोड़ने का फ़ैसला किया। वे दिल्ली में अपना खुद का रेस्टोरेंट खोलना चाहते थे।
मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार, साल 1974 में जयराम बनान ने दिल्ली आकर गाजियाबाद में सेंट्रल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की कैंटीन चलाने का काम किया। उन्होंने इस कैंटीन के लिए 2000 रुपये निवेश किए। साल 1986 में उन्होंने साउथ दिल्ली के डिफेंस कॉलोनी में अपना पहला रेस्टोरेंट खोला, जिसका नाम उन्होंने “सागर” रखा। पहले दिन उन्होंने इस रेस्टोरेंट से 408 रुपये कमाए।
उनके रेस्टोरेंट में 40 लोग आसानी से बैठ सकते थे और उन्होंने खाने की क्वालिटी पर विशेष ध्यान दिया। लोग उनपर भरोसा करने लगे और उनके बिजनेस ने तेजी से स्पीड पकड़ ली। चार साल बाद उन्होंने एक और रेस्टोरेंट दिल्ली में खोला, और नए स्टोर में उन्होंने “सागर” के साथ “रत्ना” नाम जोड़ दिया। समय के साथ सागर रत्ना एक ब्रांड बन गया जो लोगों को अपनी Success Story से इन्स्पायर करता है।
दुनिया के कई देशों में हैं आउटलेट
आज जयराम बनान के सागर रत्ना के आउटलेट देश ही नहीं, बल्कि कनाडा, सिंगापुर, और बैंकॉक में भी मौजूद हैं। उन्हें डोसा किंग के नाम से भी पहचाना जाता है। इसके अलावा, उन्होंने 2001 में स्वागत नाम की एक और रेस्टोरेंट चेन की शुरुआत की थी।
जयराम बनान की Success Story है एक मिसाल
जयराम बनान एक ऐसी मिसाल बन चुके हैं जो साहस, समर्पण और कड़ी मेहनत के आइडल हैं। उन्हें बहुत सारे परेशानीयों का सामना करना पड़ा है, लेकिन उन्होंने हमेशा हौसला बनाए रखा। उनकी Success Story उन लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं जो चुनौतियों का सामना करके अपने लक्ष्य पर पहुंचना चाहते हैं।
जयराम बानन ने साबित किया है कि अगर हम सही नियत, दृढ संकल्प और समर्पण से मेहनत करते हैं, तो हम किसी भी परिस्थिति में सफलता को हासिल कर सकते हैं। उनके संघर्षपूर्ण जीवन से हमें यह सिख मिलती है कि कठिनाइयों का सामना करना हमारे लिए ज़रूरी है, और हमें अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित रहकर कठिनाइयों को पार करने की क्षमता विकसित करनी चाहिए।
जयराम बनान की Success Story से हमें यह भी सीख मिलती है कि अगर हम आत्मविश्वास से अपने काम में लग जाते हैं और निरंतर मेहनत करते रहते हैं, तो समय के साथ हमारी मेहनत का फल ज़रूर हमें मिलेगा। जीवन के हर मोड़ पर हम डटे रहें और आगे बढ़ते रहें तो हम सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। इसलिए, हमें संघर्षों से नहीं घबराना चाहिए, बल्कि हमें हौसला रखकर उन्हें पार करने की कला को सीखना चाहिए।
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